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आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक दिन में एक साथ पांच हजार से अधिक नारी शक्ति को स्तन कैंसर जागरुकता सेशन में भाग लेने पर इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के एडज्यूडिकेटर ऋषि नाथ ने ब्रह्माकुमारीज़ के अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई और विश्व प्रसिद्ध सर्जन पद्यश्री डॉ. पी. रघुराम को वर्ल्ड रिकार्ड का प्रमाण दिया। यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में एक साथ महिलाओं में कैंसर जागरुकता कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम हैदराबाद के ऊषालक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में विश्व प्रसिद्ध सर्जन पद्यश्री डॉ. पी. रघुराम ने बताया कि स्तन कैंसर में मुख्य पांच बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है- घटना, मृत्युदर, कारण एवं जोखिम कारक, कुछ सामान्य मिथकों को उजागर करना, निदान, स्टेजिंग और इलाज, परामर्श का महत्व, रोकथाम और स्क्रीनिंग। उन्होंने कहा कि स्तन की स्क्रीनिंग से हमें यह फायदा होता है कि स्तन में छोटे बदलाव दिखने के पहले या कैंसर होने की स्थिति के पहले ही हमें पता चल जाता है, इससे हम समय रहते सही व उचित इलाज कर सकते हैं। मैमोग्राफी से विकरण का कोई प्रभाव नहीं होता है। भारत में हर साल स्तन कैंसर के दो लाख केस सामने आते हैं। हर 8 मिनट में एक महिला स्तन कैंसर की शिकार होती है। इससे पीडि़त हर साल एक लाख महिलाओं की मौत हो जाती है।

क्या है स्तन कैंसर-
जब स्तन में कोशिकाएं असामान्य और अनियंत्रित तरीके से विभाजित हो जाती हैं और बढ़ने लगती हैं तो कैंसर हो सकता है। ज्यादातर मामलों में डक्टल के अंदर कैंसर होता है इसे डक्टल कैंसर कहा जाता है। इसका छोटा हिस्सा लोब्यूलर कार्सिनोमा के अंदर होता है, जिसे लोब्यूलर कैंसर कहा जाता है।

स्तन कैंसर का मुख्य कारण-
पद्यश्री डॉ. पी. रघुराम ने बताया कि प्रारंभिक मासिक धर्म 12 साल के बाद शुरू होता है और 55 वर्ष के बाद भी मासिक धर्म बंद नहीं होना, रजोनिवृत्ति के बाद मोटापा बढ़ना, पहला बच्चा 30 वर्ष की आयु के बाद होना या स्तनपान नहीं कराना, साथ ही लाइफ स्टाइल में बदलाव कैंसर होने के मुख्य कारण हैं। स्तन कैंसर युवा से लेकर बुजुर्ग महिलाओं किसी को भी हो सकता है। लोगों में धारणा है कि यह आनुवांशिक रोग है जो कि गलत है। स्तन कैंसर से पीडि़त अधिकांश महिलाओं का पारिवारिक इतिहास नहीं होता है। केवल पांच से दस फीसदी मामलों में ही कैंसर का पारिवारिक इतिहास होता है। गर्भवती महिलाओं को भी कैंसर हो सकता है। स्तनपान से जोखिम कम होता है लेकिन पूरी तरह से खत्म होता है ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

कैंसर को हराने वालीं योद्धा का अनोखा अनुभव-
स्तन कैंसर से ठीक होने वाली हैदराबाद सबजोन निदेशिका बीके कुलदीप दीदी ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन, स्वस्थ दिनचर्या, संतुलित आहार, कीमोथैरेपी और नैचुरोपैथी के कारण मैं स्तन कैंसर से बाहर निकल पाई। जब मुझे पता चला कि कैंसर है तो मैंने अपने मन से कभी एसेप्ट ही नहीं किया कि मुझे कैंसर है। न ही कभी खुद को कमजोर पड़ने दिया। पद्यश्री डॉ. पी. रघुराम के गाइडेंस में पूरा इलाज चला।

ये भी रहे मौजूद-
इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मोहिनी दीदी, अतिरिक्त महासचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई, ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. प्रताप मिड्‌ढा, मेडिकल विंग के सचिव डॉ. बनारसी लाल भाई ने भी संबोधित किया। संचालन महिला प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके डॉ. सविता दीदी ने किया।

ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं-
– स्तन में दर्द रहित गांठ महसूस होने पर
– स्तन के आकार या आकृति में कोई बदलाव होने पर
– स्तन के ऊपर की त्वचा में झुर्रियां या गड्‌ढे
– रंग में कोई बदलाव दिखे
– निप्पल के आकार में बदलाव या खून का धब्बा

स्तन कैंसर से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें-
– वजन नियंत्रण रखें।
– जीवनशैली में बदलाव और एक्सरसाइज
– कम से कम छह माह तक स्तनपान
– स्वस्थ और संतुलित आहार लें।
– धूम्रपान बंद कर दें।
– यदि आपकी उम्र 40 साल से अधिक है तो साल में दो बार मैमोग्राम (स्तन का एक्स-रे) कराएं।
– थ्रीडी मैमोग्राम जांच स्तन कैंसर का सबसे शीघ्र पता लगाने में सबसे अच्छी जांच है।

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